नजर से नजर क्या मिली; आग लगा दी,
नजरें टकराती रही; दिल जलता रहा!
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सनम हरजाई नजरों से ऐसा जाम पीला गये,
हमारै अंगअंग में पगली प्रित अगन जला गये।
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नजरें टकराई, इजाजत मिल गई,
प्यार समझा था, इबादत बन गई!
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निगाहों से ही सब कुछ कुबूल कर दिया,
जमाना जो भी समझें दिल पुकारे ‘मियां’!
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नज़रों की बात करना तो आप रहने ही दो मियां,
सारी दुनिया समझ गई, आप अभी भी नासमझ! 😋
_ आरती परीख ९.१.२०१७
नज़रों की बात करना तो आप रहने ही दो मियां,
सारी दुनिया समझ गई, आप अभी भी नासमझ!
लाजवाब आरतीजी
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आपकी लिखी रचना “पांच लिंकों का आनन्द में” शनिवार 25 मार्च 2017 को लिंक की जाएगी ….
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ….धन्यवाद!
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Thank you
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अच्छा है ।
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वाह ! बहुत खूब ,सुंदर रचना
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