Archive | January 19, 2017

शिशिर धूप

नाचती फिरे

गिलहरीयाँ संग

शिशिर धूप

_आरती परीख १९.१.२०१७

अनमोल

​कर सको तो ‘आरती’ के लिए दिल से दुआ करना,

सिक्कोंकी खनक से मददगारकी जमात आ खड़ी!!

_आरती परीख १९.१.२०१७

बहू/कुलवधु

रात या दिन

मनदिप जलाती

घरकी लक्ष्मी

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बहू के पांव

बुजुर्गों की जबान

कभी न थके

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घरआंगन 

कुमकुम कदम

खुशियां छाई

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संस्कार दैन

कुलवधु के नैन

जीवन चैन

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मीठें दो बोल

प्यार  संस्कार तोल

वधु का मोल

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रण या वन

संस्कारी कुलवधु

हो उपवन

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तूटी न जूडी

सास-बहूकी जोड़ी

रेल पटरी

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दो परिवार

LOC* बन खडी

बहू ही छडी*
*छडी=धजा, लाठी
*LOC=Line of Control

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कुल का मान

क्या अपना-पराया

बेटी या बहू

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सिक्कों की भुख

केरोसिन उड़ेले

बहू के मुख

_आरती परीख १९.१.२०१७