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अंतकाल

संध्या काल
धीरे धीरे
मुड रही
जीवन रेल
सूरज की तरह
ही
क्षितिज पर
ठहरने के लिए…
✍🏻 आरती परीख
१८.१.२०२३

ख्वाहिशें

आंखों में बसी-
सप्तरंगी ख्वाहिशें
दिल से जवां
©आरती परीख

સંસ્મરણો

સાચવી જાણે-
દિલ પરબીડિયું
સ્મરણ પત્રો
© આરતી પરીખ

बेफिक्री

आने वाले
वक्तकी
फिक्र करना छोड़ दिया है।
बस,
अभी
जो पल मीली
जैसी भी मीली
उसे
जी भर के
जीने कि
कोशिश में व्यस्त हूं।
_आरती परीख

बिमारियां

बढती रही
दवाईयों से दोस्ती
उम्र के साथ
_आरती परीख

इंतज़ार

तेरे
इंतज़ार में
वक्त कटता नहीं
फिर भी
कतरा कतरा
जिंदगी काट रही हूं।
-आरती परीख १५.११.२०२१

ख़्वाब

सन्नाटा देख
अनबूने से ख़्वाब
शोर मचाये
-आरती परीख २.७.२०२१

बिरहन


सूर्य किरणें
बादल चीर कर
धरा को ढूंढे
-आरती परीख २७.६.२०२१

मौसम की नजाकत

मेघ कि बूंदें
गुडिय़ा के बालों में
मोती पिरोये
– आरती परीख २५.६.२०२१