Archive | February 2017

સૂર્ય

​આગનો ગોળો

ભાગીને’ય જાય ક્યાં

સંઘરે કોણ

© આરતી પરીખ ૧૮.૨.૨૦૧૭

बारिश

​बूंद बूंद से

आभ धरा को चूमे

हवा जो रुठे

© आरती परीख १५.१.२०१७ 

बोझिल

​थोड़ी सी हवा क्या चली?!

अब तो,

डायरी के पन्ने भी

फडफडा़ने लगते हैं…

.

कितने सालों से

कोई

गिला शिकवा नहीं,

चुपचाप

मेज पर बैठी थी…!

.

जो लफ्ज़ बयां करने में 

हिचकिचाहट सी हुई,

वो सबको हम

अपनी डायरी में ही 

कैद किया करते थे….!!

.

_ ©आरती परीख १०.२.२०१७