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प्रतिक्षा

सूर्योदय के साथ
आपके आगमन की
मृगतृष्णा
बहती दिखाई दे
यह
तप्त रेगिस्तान में!
© आरती पारिख २.९.२०२०

घडी

महंगी घडी
गिनेचुने लोगों के नसीब।
मुश्किल घडी
हर कोई के जीवन में पाई गई!
_आरती परीख २८.८.२०२०

*घडी = ઘડિયાળ wrist watch, સમય timepiece

बारिश

बारिश हुई
यादें जवाँ हो गई
आँखों से बहे
अनगिनत लम्हें
भीगें बीती बातों से
_आरती परीख २०.८.२०२०

अकेलापन

रेगिस्तानी
खामोशियोँ से तंग
तन्हाई से त्रस्त
आत्महत्या करती रही
हर एक संवेदना
नाबालिग ही…
मातम मनाते
हम
रेत के टीलों कि तरह ही।
_आरती परीख
१३.७.२०२० रात ११.०५

Stay Connected by Heart

बीच में दीवारें है तो क्या हुआ,
संवाद खिडकियाँ खुली ही है।
©आरती परीख
Stay Safe
Stay Connected

तराशना

कोई
पत्थर न मिला।
.
क्या करें?!
.
तो फिर,

खुद को ही
तराशने में
व्यस्त..
मस्त..!

  • आरती परीख २७.६.२०२०

मजबूर

बादल को बरसने की चाह।
पर,
कहाँ और कितना
बरसना है..
वो
हवा तय करती है।

_आरती परीख २६.६.२०२०

વિરોધાભાસ

સીધું સટ્ટ ભવિષ્ય ભાખતી,
આડીઅવળી હસ્તરેખાઓ.
_આરતી પરીખ ૨૩.૬.૨૦૨૦

कमजोर

अव्वल रहे
रिश्तों की पाठशाला में।
कैसे सबको बतायें
कि,
बचपन से ही
गणित के विषय में
मुश्किल से पास होते थे।

જીજીવિષા

જીંદગી
છે
કે
અક્ષયપાત્ર?!
ઈચ્છાથી છલોછલ
અંત શ્વાસ સુધી!
_ આરતી પરીખ ૯.૬.૨૦૨૦