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मंजिल

ये सच है; सदा आकर्षक​ लगता खुबसूरत रास्ता,

राह काँटो चट्टानों से घिरी हुई हो तो भी हम तैयार

यारा; हमें तो बस अपनी मंजिल से ही है वास्ता!

© आरती परीख २४.५.२०१७

सनम हरजाई

​बलमा हमारे दिनभर बहुत ही तडपाते है,

रातभर ख्वाब में बेशुमार  प्यार जताते है,

लगता है कि सूरजकी रोशनी से जलते हैं!

© आरती परीख २३.५.२०१७

પપ્પા

“ત્રિપદી”

ઉડતાં શીખવી, અર્પે છે આકાશ,

આંસુ પી જઈ, ખુશી પીવડાવે

“પપ્પા” માટે તું, જીવન પ્રકાશ.

………………………………………………._આરતી(૬.૩.૨૦૧૩)