१
क़ातिल हवा
ठिठुरती धरती
शीत आंगन
~
२
बर्फिली हवा
पर्ण विहीन पौधे
चट्टानें चीखें
~
३
सर्द हवाएँ
रवि जला न सका-
धूप अँगीठी
~
४
चूमती फिरें-
कातिल सर्द हवा
गाल गुलाबी
~
५
बर्फिली हवा
इतराहट भूली
शिशिर धूप
~
६
कातिल हवा
बिना फूंके सिगार-
मुँह से धुआं
~
७
शिशिर रात
दहशत दे फिरें-
कातिल हवा
~
८
कातिल हवा
चकनाचूर करें-
रवि का अहं
~
९
आलस्य भरे-
आंगन में आ बैठा
सर्द प्रवात
~
१०
वायव्य* हवा
ओढ सर्द चूनर
ढलती सांझ
~
११
फागुनी हवा
महक यहाँ तहाँ
मौसम जवाँ
~
१२
फागुनी हवा
रंगोत्सव का नशा
मौसम जवां
~
१३
दिशाएँ पीत
हवा गुनगुनाती
वासंती गीत
~
१४
तेज धूप में-
यार सी गले मिले
हल्की सी हवा
~
१५
हवा जो रुठी-
स्तब्ध सा रेगिस्तान
प्रस्वेद स्नान
~
१६
गर्म हवाएं
सरकाती ही रही
रेत के टीले
~
१७
तेज़ हवाएं
ढेर के ढेर हुए
रेत के टीले
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१८
बैसाखी हवा
सहरा में सजाती
~
रेत रंगोली
१९
दाह लगाये
छज्जे पर नाचती
बैसाखी घूप
~
२०
सहरा धूप
हवा संग घुमते
रेत के टीले
~
२१
हवा घुमडी
आँखे चुराये धूप
धुंधला समाँ
~
२२
चाक पे चढ़ी
गढ़े गर्म दिवस
ज्येष्ठ कि हवा
~
२३
बूंद बूंद से
आभ धरा को चूमे
हवा जो रुठे
~
२४
मस्तानी हवा
नदियाँ हुई जवाँ
बारिश यहाँ
~
२५
पौधों के संग
मधुर नग्में गाती
पावस हवा
~
२६
निगोडी हवा
खिंच कर ले गई
काले बादल
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२७
माँग बढाये
दवा; दवाखानों का
अषाढ़ी हवा
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२८
उड़ा न सकी-
यादों के सूखें पत्तें
तेज हवाएं
~
२९
आक्रोशी हवा
स्थल कद बदले
रेत के टीले
~
३०
हवा का झोंका
शाखाएं झाड रही
सूखी पत्तियां
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* वायव्य दिशा से हवा का वेग ज्यादा होता है जो कि आपके लिए फायदेमंद भी सिद्धि हो सकता है और नुकसान दायक भी। गर्मी के दिनों में यह फायदेमंद होगा और सर्दी के दिनों में नुकसान दायक।
✍️ आरती परीख १७.१.२०२३