१
संध्या फलक
क्षितिज के मस्तिष्क
सूर्य तिलक
—-
२
सूरज रथ
क्षितिज पर थमा
गोधूलि बेला
—-
३
निगल गई
क्षितिज की लालीमा
बैरन निशा
—-
४
क्षितिज बैठा
दिनचर्या सुनता
सूरज दादा
—-
५
क्षितिज लाल
तुफानी समंदर
सूरज डूबा
—-
६
भागता फिरे
बैठक क्षितिज पे
थका जो रवि
—-
७
आग का गोला
क्षितिज ने निगला
छाया अँधेरा
_ आरती परीख ६.१२.२०२२