सबको प्यारे
बटुआ में जो बैठे-
महात्मा गांधी
©आरती परीख २.१०.२०२१
Archive | October 2, 2021
बेनाम रिश्ता
कितना सुहाना था; हमारा रिश्ता,
ना आपने बांधा; ना हमने छोड़ा।
सफर तय था; विपरीत दिशा में,
संयोग अनुसार जीवन को मोड़ा।
हंसी रिश्ते-नाते कुचलता मचलता,
बुलंदियों पर पहुंचा जीवन घोड़ा।
“जी तो लो थोड़ी देर”_दिलने पुकारा,
सुकून कि तलाश में; फिर से दौड़ा।
संस्कार और समाज की जंजीरों में बंधे,
“आरती”कि ज्योति जैसे मिलते थोड़ा थोड़ा।
– आरती परीख २.१०.२०२१