ठोकर खाये,
गिरना..
उठना..
फिर से,
चलते ही रहना..
“जिंदा है।”
_पूरवार करने का
यही है
सबूत!
©आरती परीख २७.११.२०१८
Archive | November 2018
नम्रता
कठिन काम
चोटी पर पहुंच
नम्र रहना
_आरती परीख २१.११.२०१८
*चोटी=शिखर
अस्त
ढल जायेगा
मध्याह्न सर चढा
अहं का सूर्य
_आरती परीख २१.११.२०१८
अहं
बरसों से
जल रहा था,
हम तुम बीच
.
अहं दीया…
.
आज
बूझा ही दिया।
.
.
खामोश हम
खामोश तुम
.
चमकने लगी
मन चांदनी
हम तुम बीच
.
गुनगुना रहा सारा जहाँ…
_आरती परीख १५.११.२०१८