Archive | October 29, 2018

ख्वाहिश

ख्वाहिश का क्या है?!
अपने घर की ही
फसल है।
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एक बोई
न पूरी हुई..
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कोई गल नहीं।
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आज रात फिर
नये ख्वाब सजेंगे..
एक और नयी ख्वाहिश के साथ
खुशनुमा सुबह का लुत्फ उठायेंगे।
©आरती परीख २९.१०.२०१८