बादल छाये
मस्तानी दोपहर
निस्तेज रवि
©आरती परीख २८.८.२०१८
Archive | August 2018
बगावत
ख्वाहिशें लाखों
बगावत करती
दिल में कैद
©आरती परीख २५.८.२०१८
ત્યાંના ત્યાં જ
એક બે ત્રણ…
તારીખો બદલાતી ગઈ
તારીખિયું કદમાં નાનું થતું ગયું.
અંતે
આવશે દિવાળી.
છેલ્લું પાનું પણ
ફાટીને
કચરાના ડબ્બામાં જશે.
ફરી
નવી ઘોડી નવો દાવ
_ની જેમ
નવું તારીખિયું દિવાલે ટીંગાઈ જશે.
પણ
જિંદગી તો,
ત્યાંની ત્યાં જ
એવી ને એવી જ!
©આરતી પરીખ ૨૪.૮.૨૦૧૮
बारिश
मेघ मल्हार
महक उठें
पहली बारिश में
धरती मैया
*****
शांत हो चुका
सूरज का प्रकोप
मेह मल्हार
*****
नभ को चीर
धरती में समाई
दामिनीराणी
*****
मेह बरसा
नीली चादर तले
धरती सोयी
*****
बूंद बूंद से
आभ धरा को चूमे
हवा जो रुठे
*****
बादल टोली
भरने को आतुर
धराकी झोली
*****
धरा गगन
भीगी भीगी गुफ्तगू
तृण सर्जन
*****
डाल-डाल मैं
जल मोती पिरोये
बरखा रानी
*****
चूल्हे में पानी
फर्श पे बरतन
छत टपके
*****
मस्तानी हवा
नदियाँ हुई जवाँ
बारिश यहाँ
*****
बरखा बूँदें
तालबद्ध बरसे
मनवा नाचें
*****
बरस गई
बचपनकी यादें
बरखा संग
*****
भीगा भीगा सा
मन आँगन घर
वर्षाजल से
*****
महक उठी
बरखा रानी संग
यादें सुहानी
*****
बदरा छाए
कुदमकुद करें
मेंढक मन
*****
सरक गई
पहली बारिश से
सहरा रेत
*****
सूखी डालियाँ
मेघराज पिरोये
वर्षा के मोती
*****
बारिश थमी
भीगी सी धरती को
धूप चूंबन
*****
मेघ तांडव
गांव गांव बिछड़े
हाईवे तूटे
*****
मेघ सवारी
लूकाछूपी खेलती
धूप गौरैया
*****
नभ के द्वार
दामिनी के दस्तक
मेघ मल्हार
©आरती परीख
श्रावण
कतार लगी
त्योहार पे त्योहार
श्रावण माह
~~
श्रावणी वर्षा
हरी भरी चूनर
शोभित धरा
©आरती परीख
संध्या
रविकी कश्ती
समंदर में डूबी
आकाश लाल
©आरती परीख ११.८.२०१८
द्यूत
रात को जुआ
दिन में पूजापाठ
पवित्र माह
©आरती परीख ११.८.२०१८
दाढ़ी
श्रावण माह
फसल लहराये
पुरुष मुँह
©आरती परीख ११.८.२०१८
घने बादल
अषाढी दिन
आराम फरमाये
सूरजदादा
©आरती परीख १०.८.२०१८