तप्त सूर्य के
बावजूद
उषा संध्या का
मनमोहन रुप देख,
हररोज
रुप बदलते
चँद्र के साथ
निशा ने भी
मुस्कुराना सीख लिया।
©आरती परीख २८.६.२०१८
Archive | June 2018
ભીની યાદ
વરસાદમાં
કોરાકટ્ટ હું ને તું
ભીંજાય રહ્યા
જૂની પુરાણી યાદે
મધ મીઠડી વાતે
©આરતી પરીખ
रिश्ते-नाते
रिश्ते बिछड़े
गले लग गई है
उनकी यादें
©आरती परीख १६.६.२०१८
ગરમી
ભરબપોરે
આંગણું ને અગાસી
તડકે ન્હાય
©આરતી પરીખ ૧૬.૬.૨૦૧૮
संस्कार
लूट न सके
कोई भी कभी भी
निज संस्कार
©आरती परीख १५.६.२०१८
बर्षा का इंतजार
खिंच ले गई
ये कातिल हवाएँ
बादल टोली
©आरती परीख १४.६.२०१८
खेल
खेल का मोह
छूटा ही नहीं..
बच्चे थे तो,
खिलौनों से खेलते थे।
बडे़ क्या हुए,
रिश्तों से खेलने लगे!
©आरती परीख १४.६.२०१८
इंतजार
सुबह के
इंतजार में
रातभर
जलते रहे
गोखले में दीप
कमरे में हम!
©आरती परीख १४.६.२०१८
अतूट संबंध
तेज हवाएं
उडा ले गई
अनगिनत पत्तें
फिर भी
हमने
पेडपौधों को
हवाओं संग
गुनगुनाते
देखा है…
सुना है…!
©आरती परीख १३.६.२०१८
સ્નેહી
મુશ્કેલ પળો
વીણી ચૂંટીને લાવે
આપ્તજનને
©આરતી પરીખ ૧૨.૬.૨૦૧૮