धूप


कभी तपना
कभी है ठिठुरना
कैसी है धूप?!
*****

कूकड कूक
सूरज सुलगाये
धूप अँगीठी
*****

मुर्गेकी बांग
आँगन में नाचती
कोमल धूप
*****

झूला झूलती
आंगन में कूदती
मासुम धूप
*****

पत्तियाँ संग
लूका छुपी खेलती
मुग्धम धूप
*****

फूल-पत्तियाँ
छूप्पाछूप्पी में मस्त
धूप के संग
*****

धूप चूनर
सूरज पहनावे
धरती तप्त
*****

ग्रीष्म की धूप
आंगन में नाचते
आग के गोले
*****

मुरझाई सी
फूल पत्तियां शाखा
धूप लहर
*****
१०
दाह लगाये
आंगन में रेंगती
ज्येष्ठ की घूप
*****
११
सहरा धूप
हवा संग घुमते
रेत के टीले
*****
१२
सहरा धूप
दौड़ते मृगजल
निर्जल धरा
*****
१३
कड़क धूप
बहुमज़ि भवन
चिपक खड़े
*****
१४
निगोडी धूप
झाड पर जा बैठी
नीचे में खड़ी
*****
१५
सूर्य किरणें
हर पल बदले
धूप रंगोली
*****
१६
उषा किरणें
पेड़ संग रचाते
धूप रंगोली
*****
१७
मनमोहक
धूप-छांव रंगोली
पेड़-पौधोंकी
*****
१८
पत्तों पे बैठी
अंग मरोड़ रही
सुहानी धूप
*****
१९
तृण तृण से
ओस मोती चुराये
लुटेरी धूप
*****
२०
निगल गई
भीगी सी ओंस बूंदें
धूप सवारी
*****
२१
हवा घुमडी
आँखे चुराये धूप
धुंधला समाँ
*****
२२
रेत थपेडा
पत्तियां पर बैठी
धूप चुराये
*****
२३
सूरज थका
धूप गठरी बांधे
निशा मुस्काय
*****
२४
शीत लहर
सूरज सुलगाए
धूप अंगीठी
*****
२५
शीत लहर
पौधों पर नाचती
कच्ची सी धूप
*****
२६
मनभावन
आंगन में नाचती
शिशिर धूप
*****
२७
शीत ॠतु में
सबकी पहली चाह
धूप चादर
*****
२८
नदियाँ नाली
धूप चूनर ओढे
अँगडाई ले
*****
२९
नाचती फिरे
गिलहरीयाँ संग
शिशिर धूप
*****
३०
शिशिर धूप
शीत लहरों संग
रेत में खेले
*****
३१
निगल गये
बहुमाली भवन
शिशिर धूप
*****
३२
शिशिर धूप
नदियाँ में न्हान
आरती दीप
*****
३३
कातिल हवा
काँपे गाँव-शहर
धूप ही दवा
*****
३४
तन को प्यारी
आँगन में खेलती
जाड़ें की धूप
*****
३५
सुबह प्यारी
कोहरे की सवारी
धूप पे भारी
*****
३६
कोहरा छाया
खतम होता दिखा
धूप खजाना
*****
३७
धूप सवारी
खेत पर्बत गाँव
कोहरा भागा
*****
३८
बर्फिली हवा
इतराहट भूली
शिशिर धूप
*****
३९
धूप के गाँव
लड़खड़ाते हुए
शीत के पाँव
*****
४०
पेड़पौधों पे
शीत मारता चाँटे
धूप ममता
*****
४१
धूप सवारी
छूमंतर हो गई
गुलाबी ठंड
*****
४२
बसंत रुप
फूलों पर नाचती
मृदु सी धूप
*****
४३
माघ की धूप
संदूक में जा छिपे
ऊनी कपड़े
*****
४४
मेघ सवारी
लूकाछूपी खेलती
धूप गौरैया
*****
४५
निगल गई
सुनहरी वो धूप
सावन ऋतु
*****
४६
बारिश थमी
भीगी सी धरती को
धूप चूंबन
*****
४७
मुँडेर बैठी
अलसाई सी धूप
संध्या ठहेकी
*****
४८
दिवस लुप्त
समुद्र में घुलती
केसरी धूप
*****
४९
संध्या स्वरुप
नदियाँ में नहाती
फकीरी धूप
*****
५०
धूप में खड़े
ओक्सिजन बांटते
ये पेड़-पौधें
*****
५१
मोती सा व्हेम
दूर्वा पे बेठी ओंस
धूप पिगाले
©आरती परीख २४.५.२०१८

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s