ताला लगाये
रविकी दुकान पे
घने बादल
© आरती परीख ११.४.२०१८
Archive | April 11, 2018
प्रतिबिंब
अंधेरी रात
झील में तैर रहा
निगोडा चांद
© आरती परीख ११.४.२०१८
दर्द-ए-दिल
उम्र क्या बढ़ी
दर्द भी
ऊपर चढ़ने लगा!
पहले
घुटनें छिलते थे,
अब
दिल!
©आरती परीख ११.४.२०१८
अहसास
अनगिनत
अहसास छूपे है
एक लफ्ज में
© आरती परीख ११.४.२०१८
भीगा सा समाँ
दिनदहाड़े
घिर आए बादल
प्यार जताने
© आरती परीख ११.४.२०१८
उत्सुकता
मौन मुस्कान
पल में घिर गया
शब्दों का सैन्य
© आरती परीख ११.४.२०१८