यह होंठ तो
मर्यादा में ही रहें
बिन बोले ही
आंखें बयां करती
दिल में कैद बातें
©आरती परीख २९.३.२०१८
Archive | March 29, 2018
संस्कार
इन्सान भूला
किताबों ने संभाली
संस्कारी बातें
©आरती परीख २९.३.२०१८
ग्रीष्म ऋतु
सुलग रहा
चैत्र बैशाख ज्येष्ठ
रवि का चूल्हा
©आरती परीख २९.३.२०१८
यादें
पन्नों में दबी
गुलाब पंखुड़ियां
यादें सुहानी
© आरती परीख २९.३.२०१८