बसंत आया
सज-धज के मस्त
बाग-बगीचे
************
जंगल काटा
पेन्सिल से बनाया
सुहाना बाग़
*****
छत में बाग़
मेज़ पे गुलदस्ता
वासंती फाग
*****
चिपक खड़े
बहुमज़ि भवन
लुप्त बगीचे
*****
सुहाना बाग़
मोबाइल स्क्रीन पे
निहाले बाल
©आरती परीख १९.३.२०१८