दुसरे लोगोंको नीचा दिखाने के चक्कर में ही,
अपने-आपको गैरोंकी नज़र से भी गिरा दिया।
©आरती परीख ३१.३.२०१८
Archive | March 2018
प्रभात
भोर की बेला
मुंडी उठाये खड़ा
सूरजमुखी
©आरती परीख ३१.३.२०१८
नैन
यह होंठ तो
मर्यादा में ही रहें
बिन बोले ही
आंखें बयां करती
दिल में कैद बातें
©आरती परीख २९.३.२०१८
संस्कार
इन्सान भूला
किताबों ने संभाली
संस्कारी बातें
©आरती परीख २९.३.२०१८
ग्रीष्म ऋतु
सुलग रहा
चैत्र बैशाख ज्येष्ठ
रवि का चूल्हा
©आरती परीख २९.३.२०१८
यादें
पन्नों में दबी
गुलाब पंखुड़ियां
यादें सुहानी
© आरती परीख २९.३.२०१८
महसूस
उँगली करें
हिसाब में माहिर
तनहा पल
©आरती परीख २८.३.२०१८
Secrets of delicious food
छौंक दे रही
मायके का दुलार
दाल सब्जी में
©आरती परीख २८.३.२०१८
संध्या
लहुलुहान
आसमां की सैर में
संध्या के पैर
©आरती परीख २८.३.२०१८
गुस्ताखियां
जब तक
हम
आयने से
बेखोफ बातें कर सकते हैं,
तब तक
अपने-आप को
दुनिया के लिए
बदलने की गुस्ताखियां
क्यों करें?!
©आरती परीख २८.३.२०१८