पहले बाबा (पप्पा)
फिर पति
और
दुनिया की नज़र में
नसीबदार है
तो,
अंत में बेटा..
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इन सब की
अनुमति के अनुसार
अपनी ख्वाहिशों को
तोड़-मरोड़ कर….
जीवन सागर में
स्नेह की सरिता बन पाये….
आज भी,
समाज की नज़र से देखो तो,
वो ही है…..
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कुशल स्त्री (गृहिणी)!
©आरती परीख ११.२.२०१८