Archive | February 2018

मृत

“तान्का”

चंदन काष्ठ
जरुरी ही न रही
जला डालती
वक्त से पहले ही
नकारात्मक सोच
©आरती परीख २८.२.२०१८

ख़त

माता/पिता का ख़त
आंखों से छलकता
सुहाना वक्त
©आरती परीख २७.२.२०१८

रात्रि

निगोडी निशा
आसमां में बिखेरे
चांद सितारे
©आरती परीख २७.२.२०१८

चांदनी रात

निशा ने किया
आसमां के मस्तिष्क
चांद तिलक
©आरती परीख २७.२.२०१८

संध्या

संध्या फलक
क्षितिज के मस्तिष्क
सूर्य तिलक
©आरती परीख २७.२.२०१८

माघ मास

माघ की धूप
संदूक में जा छिपे
ऊनी कपड़े
©आरती परीख २६.२.२०१८

गृहिणी

घुमती रहे
गृहिणी चुपचाप
परछाई सी
©आरती परीख २५.२.२०१८

सूर्य/सूरज/रवि

सूर्य/सूरज/रवि विषयवस्तु पर मेरे द्वारा लिखे गए हाइकु

सोना बांटते
प्रभा सूर्य किरणें
धरा चमकें
*****
सूरज डूबा
चांदनी में चहेके
धरा अंबर
*****
रवि-बादल
लुकाछिपी में मस्त
धरती त्रस्त
*****
सूर्य-बादल
लुकाछिपी में मस्त
सर्दी से त्रस्त
*****
कोहरा भागा
रवि नींद से जागा
लोहड़ी पर्व
*****
धूप चूनर
सूरज पहनावे
धरती तप्त
*****
रवि बांवरा-
बदरिया में छुपा
धरा को झांके
*****
बिखर रही
सूरज की किरणें
सुहानी शाम
*****
चकनाचूर
सूरज का रुवाब-
बादल छाए
*****
रंग छिटके
सूरज की किरणें-
नभ सिंदुरी
*****
सूरज डूबा-
लहुलुहान पानी
अंधेरा छाया
*****
सूरज डूबा
चांदनी में चहेके
धरा अंबर
*****
दिनदहाड़े-
मानवता का क़त्ल
सूरज डूबा
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क्षितिज बैठा
दिनचर्या सुनता
सूरज दादा
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शीत लहर
सूरज सुलगाए
धूप अंगीठी
*****
धूंध से घिरे
शहर गांव गली
रवि निस्तेज
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नम्र हो चले
सूरज के तेवर
शीत लहर
*****
सूरज थका
धूप गठरी बांधे
निशा मुस्काय
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घुमता फिरे
नीले आसमान में
सुवर्ण गोला
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चुरा ले गई
सूरज की किरणें
धूंध निगोडी
*****
सूरज ढला
जोश में आ गई
शीत लहर
*****
लाल क्षितिज
तुफानी समंदर
सूरज डूबा
*****
सूरज रथ
क्षितिज पर थमा
गोधूलि बेला
*****
सूरज ढला
आसमां में चमके
संध्या लालित्य
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शांत हो चुका
सूरज का प्रकोप
मेह मल्हार
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छूपा सूरज
आभ में घिर आई
बादल सैना
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सूरज लाल
फूल पत्ते नहाते
ओंस बूंदों से
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सूरज कांध
युग युग से घूमे
आशा गठरी
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कूकड कूक
सूरज सुलगाये
धूप अँगीठी
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भोर की बेला
अंबर में घुमेगा
सूरज छैला
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सूरज तेज़
खिलखिलाते फूल
हंसी उड़ाते
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तृणतृण पे
ओसबुंद बिराजे
सूरज लाल
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सूरज ढला
साथ छोड के चली
परछाई भी
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अँधेरा भागा
इरादों का सूरज
मन में जागा
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सूरज रथ
फ़ोटो खींचें नदियाँ
आकाश लाल
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सूरज ढले
मन की आग बुज़े
चाँद निखरे
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चमक रहा
तृण तृण में ओस
ओस में सूर्य
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ओस में कैद
रवि चमक रहा
तृण तृण में
*****
रवि का ठेला
समंदर में गिरा
सांझ की बेला
*****
रवि का ठेला
समंदर में गीरा
ठहाके संध्या
*****
पौधों के संग
लुकाछिपी खेलती
सूर्य किरणें
*****
सूर्य किरणें
हर पल बदले
धूप रंगोली
*****
सूर्य किरणें
दुपट्टे में लपेट
ढलती सांझ
*****
रवि चरखा
आराम फरमाता
निशा निखरें
*****
अंधेरी रात
सूर्य के वहम में
छोटा-सा दिया
*****
सूर्य किरणें
पेड़पौधोंको चूमे
मुस्काये फूल
*****
निगल गई
तप्त सूर्य किरणें
ये शबनम
*****
भागता फिरे
बैठक क्षितिज पे
थका जो रवि
*****
आग का गोला
समंदर निगला
बूझा न गला
©आरती परीख