Archive | January 22, 2018

ग़ज़ल

आज हमारी ग़ज़ल हमसे ही रूठ गई,
क़लम से अनगिनत ग़ज़लें टपक गई!
© आरती परीख २२.१.२०१८

शहेरी वसंत

छत में बाग़
मेज़ पे गुलदस्ता
वासंती फाग
© आरती परीख २२.१.२०१८