Archive | December 1, 2017

साँझ

अकेली जान

अपनापन लिए-

ढलती साँझ

© आरती परीख १.१२.२०१७

हाइकु लहरें

चुरा ले गया

काले घने से बाल

वक्त लुटेरा

***

छलक पड़े

नयन गुल्लक से

यादों के सिक्के

***

छप्पनभोग-

दर्शन में खड़ी मां

बालक भुखा

***

ख़ामोश रात

शोरगुल मचाती-

यादें सुहानी

***

मनभावन

आंगन में नाचती

शिशिर धूप

***

झुरियां पड़ी

तन्हाईकी सरिता

आंखों से बही

***

तन्हा सा मन

उमड़ पड़ी यादें-

उदासी लिए

***

अचूक काटे-

सपनोंकी पतंग

अलार्म घड़ी

***

क़ातिल हवा

ठिठुरती धरती

शीत आंगन

© आरती परीख १.१२.२०१७

शिशिर ऋतु

क़ातिल हवा

ठिठुरती धरती

शीत आंगन

© आरती परीख १.१२.२०१७