Archive | December 2017

पतझड़

गिराये पत्तें-

निगोडा पतझड़

नंगी डालियां

© आरती परीख ३०.१२.२०१७

ઘર

મહિનાઓ પછી

મા ની જીભે

ફરી એ જ….


સમયસર ઉઠવાનો કકળાટ

સાફસફાઈની કચકચ

સાત્વિક ખોરાક લેવાની માથાકૂટ

શિખામણોનો બણબણાટ

……. ચાલુ થઈ ગયો છે.


વેકેશન હોય,

હૉસ્ટેલથી 

દિકરી 

ઘરે આવી છે.


દિકરીને 

ઘર ઘર જેવું જ લાગવું જોઈએ!

ઘરમાં કશું જ બદલાયું નથી!


કાળજું કઠણ રાખી,
….મા સતત પ્રયત્નશીલ…..

©આરતી પરીખ ૩૦.૧૨.૨૦૧૭

देशी महक

खाड़ी के देश-

देशी महक लाईं

ओ पुरवाई

©आरती परीख २८.१२.२०१७

कोहरा

कोहरा लिए-

संध्या ठुमक रही

 रुठे चांदनी

© आरती परीख

संध्या

बिखर रही-

सूरज की किरणें

सुहानी शाम

© आरती परीख

मन मेल

आपका और हमारा 

मन मेल कैसे हो?!

आप मर मर के जीने की फिराक में है,

और यहां हम; 

मजेदार जीवन के बाद…

सबके दिल में 

सदा काल जींदा रहनेकी कोशिश में है!

© आरती परीख Arti Parikh

संध्याकाल

सूरज थका-

धूप गठरी बांधे

निशा मुस्काय

© आरती परीख २२.१२.२०१७

मौन

लुफ्त उठाना था 

मौन का,

बैठ गये-

शब्दों के ही बीचों-बीच 

पुस्तकालय में….! 

© आरती परीख २०.१२.२०१७

સૂર્યાસ્ત

ક્ષિતિજે હાંફે

દિવસ આથમતાં


જગતદાતા

©આરતી પરીખ ૧૮.૧૨.૨૦૧૭

नम्रता

प्यार 💝 से सब लोग पिघल जाते हैैं, 

फिझुल में ताकत 👊 क्युं व्यय करें?! 

© आरती परीख १७.१२.२०१७

☘मैत्री सभर दिन मुबारक☘