सनम हरजाई नज़रों से ऐसा जाम पीला गये,
हमारै अंगअंग में पगली प्रित अगन जला गये।
~~
नज़र से नज़र क्या मिली; आग लगा दी,
नज़रें टकराती रही; दिल जलता रहा!
~~
नज़रें टकराई, इजाज़त मिल गई,
प्यार समझा था, इबादत बन गई!
~~
नज़रों से बात करना कब सीखेगें हमारे सनम?!
सारी दुनिया ईशारा समझ गई, वो अभी भी नासमझ!
~~
क़त्ल कर दी हमने; अनगिनत लफ़्ज़ों की,
तब जाकर नज़रों के जाम का नशा चढ़ा!
© आरती परीख ३०.८.२०१७