Archive | June 2017

विरही

​भीगा बदन

बारिश की झडियाँ

सूखा मनवा

© आरती परीख ३०.६.२०१७

संध्याकाल

​भागता फिरे

बैठक क्षितिज पे

थका जो रवि

© आरती परीख ३०.६.२०१७

तृप्ति

​महके मिट्टी

रुह में झलकता 

प्रित का रंग

© आरती परीख ३०.६.२०१७

सूखा

रुई गुब्बारे

आसमान में छाए

किसानी डुब्बी

© आरती परीख ३०.६.२०१७

बर्षा ऋतु

​पौधों के संग

मधुर नग्में गाती

पावस हवा

© आरती परीख ३०.६.२०१७

तन्हाई

​ये तन्हाईयां

ले आई नजदीक

हमें हमसे

© आरती परीख ३०.६.२०१७

राम नाम सत्य है

एक सहारा

ढुंढते उम्रभर

मिल ही गए

एक क्या; चार कंधे

न रही जब सांसें

© आरती परीख २९.६.२०१७

संवेदना

​भीग ही गए

दो-चार अहसास

जवां जो हुए

© आरती परीख २९.६.२०१७

पर्याय

​दोनों एक से

सावन या साजन

भिगा के छोड़ें

© आरती परीख २९.६.२०१७

बरसाती मौसम

​रवि-बादल

लुकाछिपी में मस्त

धरती त्रस्त

© आरती परीख २९.६.२०१७