खिलखिलाती
कलियाँ ये वादियाँ
प्यारी यादों में
—
चुगने आते
हमारी तन्हाईयाँ
यादोंके पंछी
—
जाड़े की रात
गर्माहट भरता
याद कम्बल
—
होता ही चला
दैनंदिन तीक्ष्ण
यादों का शस्त्र
—
अमर यादें
तरो-ताजा ही रखें
सूखा गुलाब
—
उड़ा न सकी
यादों के सूखें पत्तें
तेज हवाएं
—
जवान यादें
मजबूत सहारा
बूढ़ी हो जान
—
संभाले हुए
पलकें बिछा कर
यादों के मोती
—
अँधेरी रात,
टमटमाने लगे,
यादों के दीप
—
तुलसी क्यारी
मुरझाई हुई सी
मां की याद में
—
खनक रहे
मन गुल्लक में ही
यादों के सिक्के
—
सूखा गुलाब
तरो-ताजा रखेगा
हमारी यादें
© आरती परीख ३०.५.२०१७