Archive | May 24, 2017

हाइकु माला

​पासवर्ड है

जियो और जीने दो

जी लो जिंदगी

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संभाले हुए

पलकें बिछा कर

यादों के मोती

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गिराती रही

बे-लगाम ज़ुबान

बोल का मोल

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दाह लगाये

छज्जे पर नाचती

बैसाखी घूप

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बैसाखी हवा

सहरा में सजाती

रेत रंगोली

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तेज़ हवाएं

ढेर के ढेर हुए

रेत के टीले

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संध्या जो ढली

चांद सितारों संग

निशा विचरे

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गोधूलि बेला

दृश्य है अलबेला

जीवन ठेला

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गोधूलि बेला

अंबर पे सजेगा

निशा का ठेला

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शीतल धात्री

चांद सितारे यात्री

पुर्णिमा रात्री

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रूठ के बैठे

चांद और सितारें 

मावस रात

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ख़ाक हो जात

जुगनू थे तैनात

चमके रात

© आरती परीख २४.५.२०१७

ग्रीष्म

​बैसाखी हवा

सहरा में सजाती

रेत रंगोली

© आरती परीख २४.५.२०१७ 

गोधूलि

​गोधूलि बेला

अंबर पे सजेगा

निशा का ठेला

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गोधूलि बेला

दृश्य है अलबेला

जीवन ठेला

© आरती परीख २४.५.२०१७

रात्री

​संध्या जो ढली

चांद सितारों संग

निशा विचरे

© आरती परीख २४.५.२०१७

बे-लगाम

गिराती रही

बे-लगाम ज़ुबान

बोल का मोल

© आरती परीख २४.५.२०१७

ग्रीष्म

​दाह लगाये

छज्जे पर नाचती

बैसाखी घूप

© आरती परीख २४.५.२०१७

जिंदगी

​पासवर्ड है

जियो और जीने दो

जी लो जिंदगी

© आरती परीख २४.५.२०१७