Archive | May 23, 2017

मंजिल

ये सच है; सदा आकर्षक​ लगता खुबसूरत रास्ता,

राह काँटो चट्टानों से घिरी हुई हो तो भी हम तैयार

यारा; हमें तो बस अपनी मंजिल से ही है वास्ता!

© आरती परीख २४.५.२०१७

जीवनसाथी

​वो बितीेे हर पल गुनगुनाते रहे,

हम साथ निभाते मुस्कुराते रहे..

© आरती परीख २३.५.२०१७

सनम हरजाई

​बलमा हमारे दिनभर बहुत ही तडपाते है,

रातभर ख्वाब में बेशुमार  प्यार जताते है,

लगता है कि सूरजकी रोशनी से जलते हैं!

© आरती परीख २३.५.२०१७

पुर्णिमा

​चांद चकोरा

झील नदी समुद्र

चांदनी न्हाय

© आरती परीख २३.५.२०१७

ग्रीष्म

​मुरझाई सी

फूल पत्तियां शाखा

धूप लहर

© आरती परीख २३.५.२०१७