Archive | May 16, 2017

સંધ્યા/સાંજ

ગોધુલી ટાણું 

દિવાલ ઓળંગીને

તડકો નાસે

© આરતી પરીખ ૧૬.૫.૨૦૧૭

बैसाख

झुले पे बैठी

बीते किस्से सुनाए

बैसाख घूप

© आरती परीख १६.५.२०१७

परिचय

मैं हूं “आरती”
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मैं तो हुं संवेदना,

कर सकते हो तो…

कविता में केद कर लो,
मैं तो हुं आशा, 

भर सकते हो तो…

आंखों में भर लो,
मैं तो हुं मुस्कान, 

सजा सकते हो तो…

होंठों पे सजा लो,
मैं तो हुं स्वप्न, 

देख सकते हो तो…

अंधेरी रात में भी देख लो, 
मैं तो हुं संतोष, 

खोज सकते हो तो…… 

अपनेआप में ही खोज लो…!

© आरती परीख १६.५.२०१७