Archive | November 7, 2016

देह-व्यापार

​नंगे-भूखे बच्चे; मजबूर हुआ माँका मन,

भूखे मर्दों के बीच नंगा करे अपना तन।

_आरती परीख ७.११.२०१६

जय हिंद

​Please Respect and Love our National Language


भले ही; जन्मभूमी को साद देते चलो,

कभी भारतभूमीको भी याद करते रहो।

_ आरती परीख ७.११.२०१६

इश्क-ए-जादू

आखिर इश्क-ए-महोब्बत का जादू चल गया,

तैरने में माहिर; कत्थई अखियाँ में डूब गया!

_ आरती परीख ७.११.२०१६

गरीब

​कमाने चला,

डबल रोटी बेचके, 

खुद की रोटी!

_ आरती परीख ७.११.२०१६ 

वफा-ए-जींदगी

​निभा ही लीया,

हो के खुद से खफा,

इश्क-ए-वफा!

_ आरती परीख ७.११.२०१६

यादें

​चुगने आते,

हमारी तन्हाईयाँ,

यादोंके पंछी!

_ आरती परीख ७.११.२०१६

इसी का नाम जींदगी

​एक तरफ है आदत-ए-ईश्क,

दूसरी ओर इबादत-ए-बंदगी,

चुने तो हम किसको चुने भला 

कश्मकश में ही बीती जींदगी!

_ आरती परीख ७.११.२०१६

ईश्क-ए-महोब्बत

​में मानती थी; आप मेरी आदत ही हो,

कब इबादत बन गए पता ही न चला! 

_ आरती परीख ७.११.२०१६